उसका गीत गाके महफिल सजा लेती हूं ये कविता लिख कर पा लिया करती हूँ उसे उसका गीत गाके महफिल सजा लेती हूं ये कविता लिख कर पा लिया करती हूँ उसे
कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है, काश!कि ख्याल आने भर से ही कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है, काश!कि ख्याल आने भर से ही
केसरिया, हरा, सफ़ेद तीनो रंगों को एक साथ कर दूं सारे हिंदुस्तानियों के चेहरे पे उसको म केसरिया, हरा, सफ़ेद तीनो रंगों को एक साथ कर दूं सारे हिंदुस्तानियों के चेहरे ...
लोग कहते हैं यह सब चला आ रहा है, नया नहीं कुछ, लोग कहते हैं यह सब चला आ रहा है, नया नहीं कुछ,
खुद ही में खुद मुस्कुराता हूँ खुद ही में खुद मुस्कुराता हूँ
कोरोना से है हमें जीतना, उससे हमें है मिल के लड़ना! कोरोना से है हमें जीतना, उससे हमें है मिल के लड़ना!